दशहरा : दशहरा ( विजयदशमी व आयुध पूजा ) हिंदुओ का प्रमुख त्योहार है , 9 दिन चलने वाले नवरात्रि के समापन का प्रतीक है, दशहरा हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आश्विन महीने के दशवे दिन होता है, यह सितंबर या अक्टूबर महीने में प्रतिवर्ष मनाया जाता है |
दशहरा कब है
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्टूबर को सुबह 10:58 बजे से शुरू होकर 13 अक्टूबर सुबह 9: 8 मिनट का मनाया जाएगा, 12 अक्टूबर को होने वाले दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है, यह त्योहार विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है |
आप सभी को दशहरे की हार्दिक शुभकामनाएँ
- दशहरा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है |
- यदि दशमी दो दिन हो और केवल दूसरे ही दिन अपराह्नकाल को व्याप्त करे तो दशहरा यानी विजयदशमी दूसरे दिन ही मनाई जाएगी |
- यदि विजयदशमी दोनों दिन पद रही है तो यह त्योहार पहले दिन ही मनाया जाएगा |
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दशहरा क्यू मनाया जाता है
हमारे बुजुर्ग कह गए है और हमारी हिन्दू धर्म कि पुस्तकों मे भी लिखित है कि भगवान राम ने विजयदशमी के दिन रावण का वध किया था, उसी समय माँ दुर्गा ने महिशासुर का वध किया था इसलिए यह दिन कई जगहों पर विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, दशहरे के 14 दिन पहले कई जगहों पर रामलीला का आयोजन भी किया जाता है इस रामलीला मे भगवान राम, लक्ष्मण,और माता सीता जि के जीवन को दिखाया जाता है |
पूर्वी भारत में यह त्योहार दुर्गा पूजा त्योहार का समापन होता है, इसके अलावा विजयदशमी उत्सव दीपावली के त्योहार की शुरुवात से जुड़ा हुआ है, जो इस त्योहार के 18-20 दिन के बाद आता है | दशहरा को भरत के हर हिस्से में पूर्ण भक्ति भाव और उत्साह प्रसन्नता के साथ मनाया जाता है |
दशहरा पूजा विधि
- घर से पूर्व की ओर कोई पवित्र स्थान चुने, और यह स्थान कोई मंदिर के आस पास भी होगा तो उससे कोई दिक्कत वाली बात नहीं है यार, घर के सभी सदस्य अगर पूजा मे शामिल हो तो अच्छी बाद है |
- जहां पूजाकरनी है उस स्थान को स्वच्छ करे और चंदन के लेप के साथ अष्टदल चक्र बनाए |
- फिर आप वचन दे माता अपारजिता को कि यह पूजा अपने परिवार और अपने गाव मुहल्ले वालों की खुशी के लिए कर रहें है |
- उसके बाद अपारजिताय मंत्र के साथ माँ देवी अपारजिता माँ का आहवाहन करें |
- उसके बाद दाईं ओर माँ जया को क्रियाशक्त्यै नमः मंत्र के साथ आहवाहन करें |
- बाई ओर माँ विजया को उमायै नमः मंत्र के साथ आहवाहन करें |
- पूजा समाप्त होने के बाद प्रणाम करें |
- हारेण तु विचित्रेण भास्वत्कनकमेखला। अपराजिता भद्ररता करोतु विजयं मम मंत्र के साथ पूजा का विसर्जन करें |
- ब्राम्हण इस दिन माँ सरस्वती की पूजा करते हैं |
- वैश्य अपने बही कहते का ध्यान करते है |
- रावण कुंभकर्ण और मेघनाद का पुतला जलाकर भगवान मर्यादा पुरुसोत्तम की जीत का जश्न मनाया जाता है |
- बंगाल मे माँ दुर्गा पूजा का उत्सव मनाया जाता है |
भारत के विभिन्न देशों का दशहरा
हिमांचल प्रदेश में कुल्लू का दशहरा बहुत प्रसिद्ध है, स्त्रियाँ पुरुष सुंदर व नए वस्त्र पहनकर तुरही,बिगुल,ढोल, नगाड़े, बाँसुरी जिसके पास बजने वाला जो उपकरण होता है उसे लेकर बाहर निकलते है |
पंजाब में दशहरे के दिन आए हुए मेहमानों का स्वागत मिठाइओ और उपहारों से किया जाता है, यहाँ भी रावण दहन होता है और मैदानों मे मेल लगता है |
बस्तर में दशहरे को राम की रावण पर विजय को न मान कर यहाँ के लोग माँ दंतेस्वारी की आराधना करते है क्युकी माता दँते स्वरी बस्तर के लोगों की आराध्य है, जो माँ दुर्गा का ही रूप हैं यहाँ यह त्योहार यानी उत्सव पूरे 75 दिन चलता है |
बंगाल, ओडिशा और असम में यह पर्व दुर्गा पूजा के रूप में ही मनाया जाता है। यह बंगालियों,ओडिआ, और आसाम के लोगों का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। पूरे बंगाल में पांच दिनों के लिए मनाया जाता है।
तमिलनाडु आंध्रप्रदेश एवं कर्नाटक में यह 9 दिन चलता है यहाँ माँ लक्ष्मी , सरस्वती, और दुर्गा की पूजा करते हैं |
गुजरात मे मिट्टी से बना घड़ा उस घड़े को रंगों से सजावट कर के वहाँ की लड़कियां अपने सिर पे रख के नृत्य करती है जिसे गरबा कहा जाता है गरबा नृत्य इस पर्व की शान है |
दशहरा की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार इस त्यौहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरूषोत्तम राम ने दस सिर वाले आतातायी रावण का वध किया था। तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इस प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता एवं अहंकार को नष्ट करें |
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